वीआईपी और उनके चहेतों तक सिमट कर रह गया महाकुंभ : स्वामी महेशाश्रम
वीआईपी और उनके चहेतों तक सिमट कर रह गया महाकुंभ : स्वामी महेशाश्रम

वीआईपी और उनके चहेतों तक सिमट कर रह गया महाकुंभ : स्वामी महेशाश्रम
दंडी शंकराचार्य ने आम श्रद्धालुओं और कल्पवासियों पर हो रहे कुठाराघात पर जताई नाराजगी
(के के पांडेय ) महाकुंभ नगर ( अनुराग दर्शन समाचार ) । संगम तट पर चल रहे महाकुम्भ मेले को लेकर दंडी सन्यासी शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम ने बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने मेले में आने वाले आम श्रद्धालुओं और कल्पवासियों को हो रही असुविधा पर घोर नाराजगी जताई। शंकराचार्य ने कहा कि महाकुंभ वीआईपी और उनके चहेतों तक सिमटकर रह गया है। उनके चलते आम कल्पवासियों पर कुठाराघात किया जा रहा है। चापलूस अधिकारी वीआईपी और उनके चहेतों की आवभगत में व्यस्त हैं।
इन अधिकारियों के चलते शासन मेले की वास्तविक तस्वीर से अनजान है। वह कल्पवासियों की पीड़ा से भी अनभिज्ञ है। उन्होंने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
शंकराचार्य के मुताबिक मेले में अब तक कल्पवासियों को मूलभूत सुविधाएं नहीं प्राप्त हो चुकी हैं वह अवस्थाओं के बीच अपना कल्पवास कर रहे हैं। सरकार डीएम मेला व उनके सहकर्मी अधिकारियों द्वारा गुमराह की जा रही है।
अधिकारी मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों को वहीं ले जा रहे हैं जहां सब कुछ ठीक है। खासकर कुछ संतों, महंतों के यहां जहां अधिकारी दंडवत हो रहे हैं। अधिकारी वीआईपी व उनके परिजनों तथा कुछ संतों महंतों की सेवा में ही सारा समय बिता रहे हैं। देश-विदेश से आने वाले आम श्रद्धालुओं और मेला के सुदूर क्षेत्रों में बसे कल्पवासियों को होने वाली परेशानियों पर उनका कोई ध्यान नहीं है। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कल्पवास कर रहे आम लोगों को अब तक पेयजल और शौचालय की सुविधा भी नहीं मिल पाई है।
शासन के लोग भी चापलूस अधिकारियों की आवभगत और उनके द्वारा दिखाई जा रही मेले की चुनिंदा तस्वीरों को देखकर गदगद हैं। शंकराचार्य ने कुछ संतों, महंतों द्वारा किए गए अशोभनीय कार्यों पर भी छोभ व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संत की वेश में मेले में रह रहे आपराधिक मानसिकता के कुछ लोगों ने पूरे संत समाज को कलंकित किया है। कोई तथाकथित संत किसी मॉडल को लेकर चर्चा में है तो कोई अखाड़ा बॉलीवुड की अदाकारा को महामंडलेश्वर की पदवी देकर। यह सभी लोग सनातन धर्म पर दाग लग रहे हैं।
शंकराचार्य ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतने बड़े धार्मिक आयोजन की जैसी तस्वीर मीडिया द्वारा दिखाई जा रही हैं वह शर्मनाक है। मीडिया का सारा ध्यान किसी माला बेचने वाली लड़की पर, किसी नशेड़ी बाबा पर तो किसी विवादित अभिनेत्री पर टिका है। महाकुंभ की जो तस्वीर मीडिया के माध्यम से देश और दुनिया में जानी चाहिए, वह नहीं जा रही।
यह न सनातन धर्म और न ही वास्तविक संतों के लिए ठीक है। शंकराचार्य ने कहा कि हर प्रकार से लाभान्वित हो रहे कुछ संत, महंत मेले की व्यवस्था और सरकार का गुणगान करें तो बात समझ में आती है लेकिन मीडिया भी मेले में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर कुछ भी नहीं बोल रही। यह हैरान करने वाली बात है कि आखिर मीडिया क्यों खामोश है।